AAROGYA SETU APP
कोरोना वायरस: आरोग्य सेतु ऐप क्या हर किसी को डाउनलोड करना अनिवार्य है?
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत ने भी लॉकडाउन का तरीक़ा अपनाया है. देश में बीते 25 मार्च से ही लॉकडाउन है. लेकिन सरकार सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए तकनीक का भी सहारा ले रही है.
भारत सरकार ने दो अप्रैल को आरोग्य सेतु ऐप लॉन्च किया था.
इस ऐप की मदद से आसपास के कोविड 19 मरीज़ के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है.
पीआईबी की वेबसाइट पर इस ऐप से जुड़ी जो जानकारी दी गई है उसके मुताबिक़, ये ऐप कोविड-19 संक्रमण के प्रसार के जोख़िम का आंकलन करने और आवश्यक होने पर आइसोलेशन सुनिश्चित करने में मदद करेगा.
लेकिन क्या यह कोई अनिवार्य ऐप है जिसे देश के हर नागरिक के मोबाइल में होना ही चाहिए ?
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आरोग्य सेतु ऐप को केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले कर्मचारियों के लिए अनिवार्य किया गया है.
भारत सरकार ने 29 अप्रैल को एक ज्ञापन जारी किया था. जिसका शीर्षक था, "कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए (चेन ब्रेक) आरोग्य सेतु ऐप का प्रभावी इस्तेमाल."
इसके तहत सभी सरकारी अधिकारियों की सुरक्षा को और प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित निर्देशों का सख़्ती से पालन किया जाना चाहिए.
- केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले सभी अधिकारियों, कर्मचारियों (आउटसोर्स कर्मचारियों सहित) को अपने मोबाइल पर हाथों हाथ 'आरोग्यसेतु' ऐप डाउनलोड करना चाहिए.
- ऑफ़िस में काम करना शुरू करने से पहले सभी को 'आरोग्यसेतु' ऐप पर अपनी स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए. जब एप्लिकेशन 'सुरक्षित' या 'कम जोख़िम' की स्थिति दिखाए, तभी आना-जाना शुरू करें.
- अधिकारियों/कर्मचारियों को सलाह दी जाती है कि यदि एप्लिकेशन पर 'मध्यम' या 'उच्च जोख़िम' दिखाए तो उन्हें ऑफ़िस नहीं आना है और उस वक़्त तक ऑफ़िस नहीं आना है जब तक ऐप पर स्थिति 'सुरक्षित' या 'कम जोख़िम' नहीं हो जाती.
इस ज्ञापन में स्पष्ट लिखा है कि आरोग्य सेतु ऐप केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है. लेकिन जो केंद्र सरकार के अधीन काम नहीं करते हैं क्या यह उनके लिए भी अनिवार्य है?
यह सवाल इसलिए क्योंकि कई सोसाइटी और बिल्डिंग्स में इसे डाउनलोड करने को कहा जा रहा है. कई जगहों पर अथॉरिटी का कहना है कि आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना अनिवार्य है और आगे से इसके बिना प्रवेश नहीं मिलेगा. लेकिन क्या इस तरह की कोई अनिवाRead more
एक मीडिया संस्थान में काम करने वाली महिला ने बताया कि उनकी इमारत में आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करने को कहा गया है. गार्ड्स ने उन्हें कहा कि बिल्डिंग अथॉरिटी की ओर से यह आदेश जारी किया गया है.
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के वकील और साइबर कानून विशेषज्ञ विराग गुप्ता कहते हैं "अगर इसकी पूरी व्यवस्था को समझा जाए तो कुछ जगहों पर ही इसे अनिवार्य करने के लिए सरकार ने औपचारिक आदेश जारी किये हैं. जैसे केंद्र सरकार के कर्मचारी, डीएमआरसी द्वारा संचालित मेट्रो या फिर प्रवासी मज़दूर जो अपने राज्य वापस जा रहे हैं. लेकिन कुछ जगहों पर इसे पिछले दरवाज़े से अनिवार्य बनाने की कोशिश कानूनन सही नहीं है. अधिकाश जगहों पर जहां ये शर्तें जारी की गई हैं वो एडवाइज़री हैं लेकिन इनएडवाइज़रीज़ का स्वरूप ऐसा है कि इन्हें आदेश के तौर पर लागू कराया जा रहा हैं."
विराग गुप्ता कहते हैं कि ऐप डाउनलोड करने को लेकर जो सबसे बड़ा विवाद है वो निजता के हनन का है लेकिन देश में निजता के हनन को लेकर तस्वीर अब भी बहुत स्पष्ट नहीं है, बावजूद इसके की सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की बेंच ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर मान्यता दी थी. लेकिन सरकार अभी तक इस पर कोई क़ानून लेकर नहीं बना सकी है. लेकिन निजता के अधिकार की बात से परे अगर बात करें तो यह बिल्कुल स्पष्ट है कि किसी भी ऐप को इस तरह से अनिवार्य नहीं बनाया जासकता है.
विराग आरोग्य सेतु ऐप को आधार को लेकर हुए विवाद की ही तरह देखते हैं.
वो कहते हैं "सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में आधार को कई जगहों पर अनिवार्य नहीं माना था, लेकिन पिछले दरवाज़े से लगातार कोशिश करके इसे अनिवार्य बनाने की जुगतकी गई ."
विराग गुप्ता इसे विधिक विसंगति के मामले के तौर पर देखते हैं लेकिन वो इसे सरकार के क़ानूनी क्षेत्राधिकार के परे जाकर कुछ करने का इकलौता मामला नहीं मानते हैं.
वो कहते हैं, "लॉकडाउन के दौरान कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनके लिए सरकार के पास पर्याप्त वैधानिक शक्ति नहीं है."
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